दैनिक रुड़की (राहुल सक्सेना)::
रुड़की। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति द्वारा खटीमा एवं 2 मसूरी में उत्तराखंड राज्य संघर्ष के दौरान शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। रुड़की के ढडेरा अशोक नगर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए रुड़की के प्रथम राज्य आंदोलनकारी एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष हर्ष प्रकाश काला ने 1979 से 9 नवम्बर 2000 तक शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को याद करते हुए एवं श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण में 42आन्दोलनकारी शहीद हुए जिसमें सबसे पहले 1सितम्बर 1994 को खटीमा में 7 एवम 2 सितम्बर 1994में मसूरी में 6 आन्दोलनकारी शहीद हुए।
काला ने कहा जिस जल,जंगल, जमीन,जवानी को बचाने के लिए उत्तराखंड राज्य आंदोलन हुआ था शहीदों का वह सपना अभी तक के 23वर्षो में किसी भी सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। शिक्षा के क्षेत्र में कोई सुधार नहीं है सरकारी स्कूल खाली पड़े हैं, स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहाड़ी गांवों में अभी भी 8 से10 किमी पालकी या डोली में मरीज को सड़क तक लाना पड़ता है।
उत्तराखंड के मूल निवासी रिफ्यूजी हो गये,उनका मूल निवास प्रमाण भी सरकारों ने छीन लिया,जमीनों का भी खुलम खुला लूट खसोट हो रही है। रोजगार के क्षेत्र में भी उत्तराखंड के युवा आज भी पलायन के लिए मजबूर हैं जिस पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है यहां तक कि मन्त्रियों एवं अधिकारियों द्वारा अपने अपनों को रेवड़ी बांटी जा रही है। फर्जी सार्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाना उत्तराखंड सबसे अच्छा विकल्प है।
आन्दोलनकारियों एवं आश्रितों का 10%आरक्षण भी सरकार की ढुलमुल नीति के कारण 10वर्षोंसे लटका पड़ा है जिसकी संभावना अब बन रही है, वहीं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भी चिन्हीकरण क की प्रतीक्षा में एक एक कर ईश्वर के दरबार में सरकार की उपेक्षा का वखान कर रहे हैं। अटल सेना के जिलाध्यक्ष शिवानंद नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड मात्र नेताओं एवं अफसरों का ऐशगाह बनकर रह गया है भ्रष्टाचार चरम पर है और पक्षपात भाई भतीजावाद की कोई सीमा नहीं है,
अंकिता हत्याकांड के दोषियों को दो साल में भी सजा नहीं मिली। वहीं राज्य सरकार का एक मन्त्री भी अपनी दादागिरी में पीछे नहीं है जिन आन्दोलनकारियों के संघर्ष से राज्य बना उन्हें ही न्याय नहीं मिला पा रहा है तो आम जनता का क्या हाल होगा समझ नहीं पा रहे।
सरोज थपलियाल,दिक्का ध्यानी, लक्ष्मी डोभाल मालदे करासी,पार्वती रावत,भारती रौतेला,प्रदीप बुडाकोटी,प्रेमध्यानी उमा नेगी ने कहा कि अगर सरकार 1 अक्टूबर 2023 से पूर्व चिन्हीकरण से बंचित आन्दोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं करती तो 2अक्टूबर से पुनः बड़ा आन्दोलन किया जायेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में कविता रावत,योगम्बर सिंह रौथाण,राजेश थपलियाल, मुकेश थपलियाल,राजन भार्गव, सच्चिदानंद ध्यानी,गोपाल सिंह मेहरा,कर्ण सिंह भण्डारी, गोविंद सिंह रावत,राजेश ढौंडियाल,जसराम ढौंडियाल, हरगोविंद भट्ट, मोहित भट्ट,आदि आन्दोलनकारी एवं क्षेत्रीय जनता उपस्थित रहीं। अन्त में 2मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।