हमारे जीवन में शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा योगदान::मनोहर लाल शर्मा…

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दैनिक रुड़की (रियाज कुरैशी)::

रुड़की। बी.एस.एम इंटर कॉलेज रुड़की में आज पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री उत्तराखंड सरकार, बी.जे.पी के वरिष्ठ नेता, संस्थान के प्रबंधक माननीय मनोहर लाल शर्मा रहे। कार्यक्रम में सर्वप्रथम डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं विद्यालय के समस्त स्टाफ द्वारा पुष्प अर्पित कर नमन किया गया। तत्पश्चात सभी अतिथियों एवं सस्टाफ को शौल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय मनोहर लाल शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन हमारे लिए बहुत खास दिन है क्योंकि हम सभी शिक्षक दिवस मनाने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। भारत में यह शुभ अवसर हमारे दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर आता है जिसे संपूर्ण भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह एक शिक्षक की परिवर्तनकारी भूमिका का जश्न मनाता है जो वे एक छात्र के जीवन में निभाते हैं। हमारे जीवन में शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा योगदान होता है। एक शिक्षक साधारण व्यक्तियों की तरह अलग-अलग परेशानियों से गुजरता है, मगर अपनी सभी परेशानियों को दरकिनार करके छात्र छात्राओं को उचित शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि मेरा समस्त शिक्षकों से कहना है कि वह अपने कर्तव्य का पालन दृढ़ता से निश्चल से और निष्कपटता से करें। विद्यालय के प्रधानाचार्य अरुण कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि एक छात्र के जीवन पर उनके शिक्षक का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही शिक्षक देश के भविष्य छात्रों के साथ-साथ राष्ट्र के निर्माण का मार्ग भी तैयार करते हैं। राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान को स्वीकार करने और उनको सम्मान देने के लिए ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बहुत अधिक महत्व है। ज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य अपने समाज तथा अन्य चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाता है। यह ज्ञान केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, अपितु जीवन जीने का तरीका, संस्कार, मानव मूल्य, विचार करने की क्षमता तथा कठिनाइयों का सामना करने का साहस आदि भी इस ज्ञान के भीतर समाहित है। एक मानव तभी पूर्ण हो पाता है जब उसके भीतर ये गुण निहित हो। मनुष्य को ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है, उसके जीवन में इस माध्यम का कार्य शिक्षक करता है। मानव की सबसे पहली शिक्षक उसकी माता होती है, जो एक बच्चे को चलना सिखाने से लेकर, बढ़े होने तक मानव मूल्यों और संस्कार की जानकारी प्रदान करती है। माता के साथ ही पिता उसे जीवन में कैसे संघर्ष करना है तथा जीवन संघर्ष के साथ अपने परिवार का ध्यान कैसे रखना है कि शिक्षा प्रदान करता हैं। यदि ये कहा जाये कि मनुष्य के माता-पिता ही उसके पहले गुरु है, तो इसमें कोई संदेह न होगा। इसके पश्चात मनुष्य स्कूल में जाता है, जहां परंपरागत शिक्षा प्राप्त करता है। विद्यालय में परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ जीवन में आगे चलकर काम आने वाली वास्तवविक शिक्षा का भी बोध करवाया जाता है। इस शिक्षा को एक गुरु के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। छात्र एक ढीली मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें कुम्हार की आकार देना एक शिक्षक का ही कार्य है। कार्यक्रम में बीएसएम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष,वरिष्ठ अधिवक्ता ममतेश शर्मा,पूर्व प्रधानाचार्य राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त आर.डी.एस कपिल, पूर्व प्रधानाचार्य राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित वासुदेव पंत,एस.के.तोमर, कैप्टन अजय कौशिक,डॉ अभय ढोंडियाल,अमित कपिल,अखिलेश मोहन,प्रमोद कुमार शर्मा,डी. एन. पांडेय, संगीता गॉड,डॉ उदयन,कमल मिश्रा, विनय वर्मा, मेनपाल, विशाल शर्मा, विकास गौतम, विशेष कुमार आदि मौजूद रहे।

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