दैनिक रुड़की (इकराम अली):::
पिरान कलियर। शाह ख़ालिक़ मियां साबरी ने जानकारी देते हुए बताया कि रबीउल-अव्वल का चाँद दिखाई देने पर मेंहदी डोरी रस्म के साथ सालाना उर्स का आगाज हो जाएगा ।इस दौरान उन्होंने बताया कि दरगाह साबिर पाक के सालाना उर्स की प्रथम रस्म मेहंदी डोरी की शुरुआत शाह अब्दुल रहीम साबरी कुद्दुसी के जमाने से चली आ रही है।दरगाह के सज्जादा नशीन इस रस्म को अंजाम देते आए हैं।
मेहंदी डोरी की रसम रबीउल-अव्वल का चांद दिखाई देने पर ईशा की नमाज के बाद सज्जादा नशीन शाह अली एजाज साबरी जायरीनों,सूफी संत और अकीदतमंदों के साथ नंगे पांव अपने कदीमी पुराने घर रवाना होते हैं।और जो इस समय में मरहूम नन्हे मिया साबरी कुद्दुसी के नाम से जाना जाता है।रस्म से पहले फातिहा ख्वानी की जाती है।इस रस्म में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की व्यवस्था सज्जादानशीन परिवार के शाह ख़ालिक़ मियां साबरी करते है।शाह खालिक मिया साबरी ने बताया कि इस रस्म के लिए मेंहदी,उप्टन कुंवारी कन्याओं द्वारा तैयार की जाती है।
शाह ख़ालिक़ मियां साबरी के घर से सज्जादानशीन शाह अली एजाज साबरी कुद्दुसी तमाम सामग्री लेकर जायरीनो ओर सूफ़ी संतों के साथ सूफियाना कलाम पढ़ते हुए दरगाह साबिर पाक में पहुँच कर मेंहदी डोरी ओर संदल पेश करते है।मेंहदी डोरी और संदल पेश करने के बाद दरगाह साबिर पाक के आस्ताने में मौजूद जायरीनों और अकीदतमंदों को मेंहदी डोरी सहज्जादानशीन वितरित करते है।