

दैनिक रुड़की (राहुल सक्सेना):::
रुड़की। मदरहुड विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय द्वारा दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शैक्षणिक नवाचार में एआई की भूमिका, वैश्विक प्रासंगिकता और भारतीय ज्ञान प्रणाली का संवर्धन: अवसर या चुनौतियाँ" विषय पर किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ नरेंद्र शर्मा द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके किया गया । मुख्य अतिथि ने कहा कि आज 21वीं शताब्दी में ज्ञान अर्जन का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। तकनीकी रूप से विस्तार ,विशेष रूप से एआई के उदय के बाद शिक्षा का हर एक आयाम नए रूप में उभर रहा है। आज एआई केवल एक तकनीकी नहीं, बल्कि सीखने और सीखने की प्रकृति को परिवर्तित करने वाली सशक्त शक्ति बन चुकी है। वर्तमान समय में यह विषय न केवल शिक्षा जगत में परिवर्तन की दिशा तय करता है।

बल्कि आने वाले समय में समाज संस्कृति और मानव विकास के रूप को भी प्रभावित करेगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) सविता रावत, अध्यक्ष, सीटीईएफ, उत्तराखंड, अध्यक्ष, शिक्षक शिक्षा विभाग, डीएवी पीजी कॉलेज, देहरादून, उत्तराखंड ,विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) संजय कुमार, प्राचार्य एवं अध्यक्ष, सीटीपीडी, सरस्वती कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सत्येंद्र गुप्ता, प्रोफेसर एवं डीन, शिक्षा संकाय, गलगोटिया विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, मंचासीन रहे। अतिथियों द्वारा अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा गया कि यदि शिक्षा जगत में आगे बढ़ाना है और देश का विकास करना है तो एआई के प्रयोग को समझना होगा और कैसे सही रूप में से अपने लिए प्रयोग करना है यह जानना जरूरी होगा अगर तकनीकी के साथ नहीं चलेंगे तो हम अपने को हमेशा पीछे ही पाएंगे साथ ही अतिथि वक्ता के रूप में प्रो. (डॉ.) अनोज राज, प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ,लेफ्टिनेंट (डॉ.) अनुजा रोहिल्ला, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून, डॉ. जुगनू खट्टर भाटिया, प्राचार्य, सतयुग दर्शन शिक्षा एवं शोध संस्थान, फरीदाबाद, डॉ. रीना तिवारी, डीएवी पीजी कॉलेज, देहरादून, डॉ. श्वेता रानी, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. विनीता चौधरी, डी.डब्ल्यू.टी. कॉलेज, देहरादून द्वारा संबंधित विषय पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए गए।

विभिन्न राज्यों से आए 97 लगभग प्रतिभागियों द्वारा ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से संगोष्ठी में प्रतिभाग किया गया एवं अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। प्रथम दिवस पर व्यक्तिगत रूप से प्रतिभागियों द्वारा अपने शोध पर प्रस्तुत किए गए एवं कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर ऑनलाइन माध्यम से शोधार्थियों एवं विभिन्न संस्थाओं के शिक्षकों प्रोफेसर द्वारा प्रतिभा किया गया जिसमें तकनीकी प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. (डॉ.) अनोज राज प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ एवं तकनीकी द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो.(डॉ.) अरुणा आंचल डीन एवं विभागाध्यक्ष बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय,रोहतक,हरियाणा के द्वारा दी गई एवं समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) के.एम. भंडारकर राष्ट्रीय अध्यक्ष, सीटीईएफ.भारत ने संगोष्ठी विषय पर संक्षिप्त रूप में कहा कि भारत का भविष्य केवल तकनीक आधारित नहीं होगा, बल्कि तकनीक और परंपरा के समन्वय पर आधारित होगा।
इस अवसर पर मदरहुड विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय गोपाल शर्मा, डायरेक्टर रिसर्च प्रोo पीo केo अग्रवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ० अनुपम गुप्ता ,अधिष्ठाता कला एवं मानविकी संकाय प्रो० श्रीपाल सिंह एवं अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो० विकास गुप्ता एवं अन्य सभी संकायों के अधिष्टताओं द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया एवं विभिन्न राज्यों के संस्थाओं से आए हुए अतिथियों का स्वागत किया गया l विभिन्न विभिन्न प्रदेशों से आए हुए शोधार्थी ,फैकल्टी द्वारा संगोष्ठी में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता एवं कार्यक्रम संरक्षक प्रो० एस० सी० पचौरी द्वारा सभी आगंतुक एवं अतिथियों शोधकर्ताओं एवं फैकेल्टी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया एवं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शिक्षा संकायों के प्रोo बबीता सिंह, डॉo संतोष कुमार शर्मा, डॉo कुलदीप , डॉ ० बिमला,डॉo पंकज कुमार, डॉo विशाल शर्मा, डॉ० आशीष तोमर, प्रियंका, सुजाता भारती, पूनम सिंह,अमरीश कुमार एवं शोधार्थी ,छात्र-छात्राओं को इसका श्रेय दिया गया। मंच का संचालन डॉ० बिमला द्वारा किया गया।

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