दैनिक रुड़की (राहुल सक्सेना):::
रुड़की। रामपुर तिराहा कांड में दो आरोपियों को तीस वर्ष बाद सजा सुनाए जाने के बाद उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने खुशी मनाई। वक्ताओं ने कहा कि खुशी है कि पीड़ितों को न्याय मिला है और उम्मीद है कि अन्य दोषियों को भी जल्द सजा सुनाई जाएगी।
दो अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा गोलियां चला दी गई थी। इस दौरान आंदोलन में शामिल महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया। मामले में सैकड़ों पुलिस कर्मी आरोपी बनाए गए थे और मामला न्यायलाय में चल रहा था। अब इस कांड के तीस वर्ष बाद न्यायालय ने पीएससी के दो सेवानिवृत जवानों को दोषी करार दिया है और आजीवन कारावास की से सुनाई है। वहीं आरोपियों को सजा सुनाए जाने के बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति ने अशोक नगर ढंडेरा में खुशी जाहिर की और बाकी दोषियों को सजा दिए जाने की मांग की। केंद्रीय अध्यक्ष हर्ष प्रकाश काला ने कहा कि वह दिन आंदोलन के इतिहास में काला दिन की तरह था पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बहुत कहर ढाया था वह दिन कभी भुलाया नही जा सकता। उन्होंने कहा तीस साल बाद पीड़ितों को न्याय मिला है और अब विश्वास है कि जल्द ही अन्य दोषियों को भी सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभी आम पुलिस कर्मियों को सजा मिली है उस समय के अधिकारियों को भी चिन्हित कर सजा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने चिन्हीकरण से बंचित रहे आंदोलनकारियों को सजा दिए जाने की मांग की। इस अवसर पर सरोज थपलियाल, दिक्का ध्यानी, बसंती मेहरा, देव सिंह सामंत, नंदन सिंह रावत, शकुंतला सती, पार्वती रावत, कविता रावत, भारती रौतेला आदि उपस्थित रहे।
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