दैनिक रुड़की (राहुल सक्सेना)::
रुड़की। आरक्षण या आरक्षण में वर्गीकरण का लाभ तभी होगा जब हम पाखंड का रास्ता छोड़ शिक्षा के मार्ग पर चल स्कूल और कॉलेज जाना होगा। ये शब्द आधस प्रमुख दर्शन रत्न रावण ने आदि धर्म समाज आधस भारत द्वारा आयोजित शिक्षा सेमिनार में बोले हुए कहे।
नगर निगम सभागार में आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति महादलित {वाल्मीकि/मजहबी समाज या मुसहर या मादिगा या चाक्कीलिया या अरुन्थाथियार} के बारे में 1 अगस्त, 2024 को दिए इतिहासिक फैसले में कहा कि ये जातियां पिछड़ गई है इसलिए इन्हें अलग सुविधा यानी आरक्षण में वर्गीकरण किया जा सकता है। इतिहास को पढ़ते सुनते वक्त ऐसा सामने आया कि सत्ता की भूख में कई बार भाई ने भाईओं को कई बार बेटे ने पिता को अपने हाथों से बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।आज दलित बुद्धिजीवियों की कलम किसी तेज़ धारदार हथियार से चीरती ही नज़र आती है। कल कुछ वाल्मीकिन युवकों पर तेजधार हथियार से हमला किया भी गया।
हमें इसका मुकाबला हथियार से नहीं कलम से करना है। इसके लिए कुछ सख्त कदम और घोर तपस्या करनी होगी। अर्थात हमें बाईक, मोबाइल, हेयर स्टाइल छोड़ किताबों को दोस्त और शिक्षा में कीर्तिमान बनाने होंगे। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं जब आज रुड़की और उत्तराखंड के बच्चों को मंच पर ये कहते सुना कि अपने बुरे कल से निकलने एक मात्र उपाय शिक्षा है।
डॉ सुरेखा सुजाता ने कहा कि बच्चों को विषयों का चुनाव करते हुए बहुत ध्यान रखना पड़ेगा कि विषय वो हो जिससे नौकरी या कारोबार हो सके क्योंकि विषय ठीक तरह से न चुनने से बेरोजगारों फैल रही है। डॉ तमसा योगेश्वरी ने बस्तियों में फैली कुरीतियों की ओर इशारा करते हुए कहा जिस घर के बच्चे दरवाजे पर या गली के चौराहे पर खड़े रहेंगे वो कभी कामयाब नहीं हो सकते। इस अवसर आधस प्रचारक वीरोंत्म कैलाश पुरुषार्थी,इन्द्रेश सौदाई शंकचूड, अरुण दैत्य, संदीप, गोपाल, रविंद्र कौशल, हरीश मयदानव, संजय द्रविड़,विक्की देवानंतक, शम्मी शम्बूक अनिल,अर्जुन शील, संजय घावरी आदि मौजूद रहे।
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