दैनिक रुड़की (योगराज पाल)::
रूड़की।रामनगर रामलीला कमेटी के मंच पर लीला करते हुए श्रद्धालुओं को दिखाया रामलीला में प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद लेकर लक्ष्मण युद्ध भूमि पहुंचते हैं, जहां उनका सामना रावण के बलशाली पुत्र मेघनाथ से होता है। दोनों के बीच युद्ध होता है, जब मेघनाथ को लगता है कि वह पराजित होने वाला है तो वह शक्तिबाण का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है। हनुमान लक्ष्मण को लेकर प्रभु श्रीराम के पास पहुंचते हैं। श्रीराम, लक्ष्मण की यह दशा देखकर विलाप करने लगते हैं, तभी मंत्री जामवंत से लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए कोई उपाय पूछते हैं, जामवंत श्रीराम को बताते हैं की लंका के एक वैद्य है, जिनका नाम सुषेन है, वह लक्ष्मण के प्राण बचा सकते हैं।
हनुमान सुषेन वैद्य को लेकर लक्ष्मण के पास पहुंचते हैं। जहां सुषेन वैद्य लक्ष्मण को देखकर बताते हैं कि लक्ष्मण के प्राण सिर्फ संजीवनी बूटी से बचाए जा सकते हैं जो धौलागिरी पर्वत पर स्थित है। इतना सुनते ही वीर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए धौलागिरी पर्वत पर पहुंच जाते हैं। जहां बूटी की पहचान न होने के कारण वह पूरा का पूरा पहाड़ ही उठाकर सुषेन वैद्य के पास पहुंच जाते हैं। इसके बाद सुषेन वैद्य की ओर से संजीवनी बूटी की मदद से लक्ष्मण को ठीक किया जाता है। प्रभु श्रीराम लक्ष्मण को गले लगाते हैं और युद्ध की घोषणा करते हैं। इस अवसर पर इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष रामजी भटेजा,धर्मपाल लखानी,किशन लाल माटा, पंडित राजकुमार शर्मा ,गुलशन बत्रा, मन्नू मेहंदीरत्ता, रत्नाकर शर्मा,गुलशन अनेजा, जगदीश लाल मेहंदीरत्ता, संजीव मेहंदीरत्ता,संजीव लखानी,हैप्पी मेहंदी रता, किशन मेहंदी रत्ता,विनय चितकारा, सतीश कालरा,हरीश अरोड़ा,अमित चितकारा,सुरेंद्र मेहंदीरत्ता,गौरव मेहंदीरत्ता,डॉ.इंद्रेश शर्मा,भारत भूषण मेहंदीरत्ता, गिरधारी लाल,गिरीश अनेजा, लीलाधर मेहंदीरत्ता,नितिन लखानी,योगेश, दिलीप मेहंदी रत्ता, रवि भटेजा,प्रदीप सचदेवा,मनी चड्ढा, संचित भाटिया आदि कमेटी के लोग एवं श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।
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