दैनिक रुड़की (योगराज पाल)::
रुड़की। प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प खोजने की दिशा में रुड़की के युवा ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने बैक्टीरिया और गाय के गोबर की सहायता से एक विशेष प्रकार की बायोप्लास्टिक विकसित की है जिसे भारत सरकार ने पेटेंट भी किया है। वहीं उनकी इस उपलब्धि पर उनके माता पिता और परिचितों ने उन्हें शुभकामनाएं दी।
रुड़की के नन्द बिहार कॉलोनी निवासी जिला उद्योग कार्यालय से सेवानिवृत शिवलाल सिंह एवं मनोज कुमारी के पुत्र देशराज दीपक कपूर बीबीएयू लखनऊ में पीएचडी के छात्र हैं। वहां उन्होंने डॉ. रवि कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में शोध करते हुए बैक्टीरिया और गाय के गोबर की सहायता से एक विशेष प्रकार की बायोप्लास्टिक विकसित की है, जो पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल है और केवल 40 से 50 दिनों में जैविक रूप से विघटित हो जाती है। उनकी इस तकनीक को भारत सरकार द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है। दीपक ने बताया कि इससे पहले बायोप्लास्टिक के निर्माण में गन्ना, मक्का, गुड़, चावल और केले के छिलकों जैसे सस्ते और आसानी से उपलब्ध कृषि अपशिष्टों का उपयोग किया गया है।बताया कि इस बायोप्लास्टिक को केवल पर्यावरणीय उपयोगों के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य में इसे टिशू रीजेनेरेशन, और हड्डियों के इंप्लांट जैसे बायोमेडिकल फील्ड में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह बायोप्लास्टिक जैव अनुकूल है और शरीर के भीतर सुरक्षित रूप से उपयोग की जा सकती है। इसका उपयोग घाव भरने वाले नैनोशीट्स, ड्रग डिलीवरी सिस्टम, कृत्रिम त्वचा, और यहां तक कि हड्डी के प्रत्यारोपण में भी किया जा सकता है। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. मित्तल ने डॉ. रवि कुमार गुप्ता को सम्मानित किया और पूरी टीम को बधाई दी। उनके गुरु डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि अब इस तकनीक को औद्योगिक और चिकित्सीय स्तर पर लाकर भारत को प्लास्टिक-मुक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में और अधिक कार्य किया जाएगा।
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