दैनिक रुड़की (राहुल सक्सेना):::
रुड़की। हिंदू धर्म में हर एक एकादशी का अलग-अलग महत्व है। पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है और हर एक का अपना महत्व है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का जाता है। इस दिन व्रत रखने मात्र से अन्य एकादशी के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी में से एक माना जाता है क्योंकि इस व्रत में जल तक पीने की मनाही होती है।
पुरोहित महासभा के अध्यक्ष आचार्य रजनीश शास्त्री ने बताया कि इस साल निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर थोड़ा सा असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 को रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार,ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है,जो 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 6 जून को रखा जाएगा,जो गृहस्थ लोग रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि,धन-संपदा की प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि इस व्रत को सबसे पहले पांडव पुत्र भीम ने किया था। आचार्य रजनीश शास्त्री ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति हो सकती है।
© Dainik Roorkee. All Rights Reserved. Design by Xcoders Technologies